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शुक्रवार, 4 मई 2018

Maharashtra Fadnavis Govt Plan Concessions Grant For Maratha Community - मराठा हुंकार से डरी फडणवीस सरकार, आर्थिक मदद के लिए खोला खजाना

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सुरेंद्र मिश्र, अमर उजाला, मुंबई 
Updated Sat, 05 May 2018 02:00 AM IST



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महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा समाज के सड़क पर उतरने की चेतावनी से सरकार परेशान हो गई है। इसके मद्देनजर सरकार ने मराठा समाज के छात्रों व बेरोजगारों को आर्थिक मदद की योजना बनाई है। 

सूबे के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार मराठा आरक्षण के पक्ष में है लेकिन, मामला अदालत में होने के कारण कुछ नहीं कर सकते। फिर भी, मराठा समाज को बिना आरक्षण के सबल बनाने की कई योजनाएं तैयार की गई हैं जिसमें समाज के 99 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं जबकि एक प्रतिशत लोग राजनीति कर रहे हैं।

पाटिल ने कहा कि मराठा समाज के युवाओं को उद्योगपति बनाने के लिए एफपीओ कर्ज योजना के तहत व्यक्तिगत तौर पर 10 लाख रुपये और सामूहिक तौर पर 50 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा। 

इस कर्ज का ब्याज सरकार भरेगी। मराठा समाज के किसान मिलकर कृषि से जुड़ा कोई भी कारोबार शुरू करते हैं। उसके लिए उन्हें बैंक जाने की जरूरत नहीं है बल्कि बैंक खुद उनके पास आकर उनके जरूरत का कर्ज मुहैया कराएंगे। सरकार राज्य के ऐसे 10 हजार लोगों को कर्ज देने की व्यवस्था की है। 

उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए कौशल विकाश कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा। पाटिल ने बताया कि जाने माने साहित्यकार सदानंद मोरे की अध्यक्षता में सारथी नाम से ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 450 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर हुआ है। 

करीब सवा तीन लाख युवाओं को इस काबिल बनाया जाएगा कि उन्हें नौकरी की जरूरत नहीं होगी बल्कि वह खुद बेरोजगारों को नौकरी देंगे। इसके अलावा, मराठा समाज के छात्र व छात्रा मेडिकल सहित इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा के लिए आधी फीस सरकार भरेगी। हालांकि इसमें आय सीमा निर्धारित है। वहीं, छात्रों के आवास के लिए भी सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
 
बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आबादी 26 फीसदी है। मराठा समाज ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण चाहता है। पिछले साल मराठों ने राज्य भर में मूक मोर्चा निकाला था। मुंबई की सड़कों पर करीब 6 लाख मराठा उतरे थे, जिससे सरकार हिल गई थी।



महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा समाज के सड़क पर उतरने की चेतावनी से सरकार परेशान हो गई है। इसके मद्देनजर सरकार ने मराठा समाज के छात्रों व बेरोजगारों को आर्थिक मदद की योजना बनाई है। 


सूबे के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार मराठा आरक्षण के पक्ष में है लेकिन, मामला अदालत में होने के कारण कुछ नहीं कर सकते। फिर भी, मराठा समाज को बिना आरक्षण के सबल बनाने की कई योजनाएं तैयार की गई हैं जिसमें समाज के 99 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं जबकि एक प्रतिशत लोग राजनीति कर रहे हैं।

पाटिल ने कहा कि मराठा समाज के युवाओं को उद्योगपति बनाने के लिए एफपीओ कर्ज योजना के तहत व्यक्तिगत तौर पर 10 लाख रुपये और सामूहिक तौर पर 50 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा। 

इस कर्ज का ब्याज सरकार भरेगी। मराठा समाज के किसान मिलकर कृषि से जुड़ा कोई भी कारोबार शुरू करते हैं। उसके लिए उन्हें बैंक जाने की जरूरत नहीं है बल्कि बैंक खुद उनके पास आकर उनके जरूरत का कर्ज मुहैया कराएंगे। सरकार राज्य के ऐसे 10 हजार लोगों को कर्ज देने की व्यवस्था की है। 

उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए कौशल विकाश कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा। पाटिल ने बताया कि जाने माने साहित्यकार सदानंद मोरे की अध्यक्षता में सारथी नाम से ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 450 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर हुआ है। 

करीब सवा तीन लाख युवाओं को इस काबिल बनाया जाएगा कि उन्हें नौकरी की जरूरत नहीं होगी बल्कि वह खुद बेरोजगारों को नौकरी देंगे। इसके अलावा, मराठा समाज के छात्र व छात्रा मेडिकल सहित इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा के लिए आधी फीस सरकार भरेगी। हालांकि इसमें आय सीमा निर्धारित है। वहीं, छात्रों के आवास के लिए भी सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
 
बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आबादी 26 फीसदी है। मराठा समाज ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण चाहता है। पिछले साल मराठों ने राज्य भर में मूक मोर्चा निकाला था। मुंबई की सड़कों पर करीब 6 लाख मराठा उतरे थे, जिससे सरकार हिल गई थी।





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